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Wednesday, November 13, 2024

Parama Purusa & microvita + 4 more

Baba
Parama Purusa & microvita

Namaskar, 

There are some in AMPS who wrongly think that microvita operates independently of Parama Purusa and interferes with each and every action - as if nothing can be done without the approval or support of microvita. They wrongly conclude that microvita imposes its will on the life of each and every sadhaka.

Taking it even one step further, a few wrongly believe that they can even be cursed or tortured by negative microvita. For them, negative microvita acts as a type of  independent Satan.These confused sadhakas feel that microvita helps, interferes, and harms people in all kinds of ways, independently of Parama Purusa. They attribute everything to microvita - either positive microvita or negative microvita.
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com

Then there are bhaktas who feel that Parama Purusa is doing everything. For them, there is no intermediary force between themselves and Parama Purusa. They feel in their heart that Parama Purusa is the sole controller and everything is His liila. Such bhaktas feel that only His grace is needed; and, that is positive microvita. And indeed that is what Ananda Marga philosophy teaches us. Microvita dances according to the desire and sweet will of Parama Purus'a.


Ananda Marga is for anyone ready to practise


In Ananda Marga, there are all types of sadhakas; people of all walks of life come onto the path. That is why Baba has given a diverse range of teachings to help people with all kinds of samskara. Some are attracted to certain aspects of Baba's teachings and others are interested in different aspects of our Ananda Marga way of life. It all depends upon one's mindset.

For instance, some like to study abstruse elements of Ananda Marga philosophy like the book "Idea & Ideology", while others are more interested in doing kiirtan, bhajans, and sadhana. Some are attracted towards the more intellectually challenging parts of Ananda Marga ideology while others have almost no interest in philosophy and spend their time in social service and spiritual pursuits.
http://anandamarganewsbulletin.blogspot.com

In our human society there are people in all stages of human evolution, and Ananda Marga ideology covers this entire range. In a phrase, there is something for everyone.

For those who have great interest in microvita theory and other difficult topics, they may view everything according to the existence of microvita - but they should be careful not to start viewing negative microvita as a type of Satan. Because microvita dances according to the desire of Parama Purus'a. Those who are more inclined towards simple concepts on bhakti, Baba has told them that microvita is nothing but His grace.


Term "positive microvitum to make you laugh"

Indeed that is why in His 1988 discourse, Propensities and Pramá, Baba spoke on this topic, and here is the English summary of Baba’s original Hindi teaching:

That which I call "positive microvitum", in reality what is it? Nothing but the grace of Parama Purus'a. I use the term "positive microvitum" to make you laugh.

So it is very clear that positive microvita is nothing but the grace of Parama Purus'a. We should all keep in mind that Baba is the controller of all microvita. His divine grace is everything.
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Conclusion


There are three fundamental points to keep in mind:
(a) Negative microvita is not any type of imaginary Satan.
(b) Negative microvita cannot act independently of Parama Purusa.
(c) Positive microvita is nothing but the grace of Parama Purusa. 

Namaskar,
in Him,
Nityaniranjan
(Nathan Armstrong)

Note: A link to Baba’s original sound file about "What is Microvita" has been appended below. 


Microvita is not independent of Parama Purusa


Our Ananda Marga teachings are for all, and in His above guideline Baba explains the meaning of positive microvita to those who are more inclined towards bhakti than jinana. And naturally, in other places, Baba has addressed the topic of microvita in ways that are more suited towards those with a jinani mentality.

Sound file about microvita

References
1. 1 January 1988 DMC, Ananda Nagar
2. 1 January 1988 DMC, Ananda Nagar


== Section: News ==

[7/28/17] News: About Rudrananda's false kidnapping & murder case against Ranchi Margii

~ Courtesy of What's App - Margii's Discussion ~

आपसबों की जानकारी के लिए , हमारे माननीय नभातीतानंद के द्वारा जो राँची में एक झूठा केस किया गया था हम गृही पे उसका SDM - COURT से निर्णय आ गया है । नभातीतानंद और सत्याश्रयनंद जो की आज पूज्य बाबा के विश्वव्यापी महान आदर्श को जन जन तक पहुँचाने वाले संस्था का तथाकथित पुरोधा भी है लेकिन हकीकत में वो एक WTS तो छोड़ दें एक सामान्य मार्गी के भी हकदार नहीं है।इस दोनों सख्स को क्या कहा जाये ये दोनों जो की संस्था का तो अब तक हुआ नहीं कोर्ट को भी गुमराह किया इसका भी निर्णय आ गया है। मैं उस निर्णय का कोर्ट जजमेंट का ज़ेरॉक्स कॉपी हर भुक्ति को भेज दूँगा या हर व्हाट्सएप्प ग्रुप पे और फेसबुक पे पोस्ट कर दूँगा। जिससे आप सबों को एक सबसे बड़ा फायदा होगा कि इस नभातीतानंद के द्वारा हर जगह गृही और WTS को भय दिखाने के लिए जो झूठा कोर्ट केस करने की जो गैर आदर्शगत बीमारी और मानसिकता है , उससे इसकी ये आदत छूठ जायेगी।

💐परमपिता बाबा की जय💐
💐विश्व वन्धुत्व कायम हो💐
💐विश्व के नैतिकवादियों एक हो💐

Namaskar,
Hemant

~ Courtesy of What's App - Margii's Discussion ~


== Section: Bangla Quote ==

এর ৰেশি কিছু ৰলা যায় না


“মন্ত্র জিনিসটা আসলে হচ্ছে কি ? আমি উপায় না পেয়ে, ইংরেজিতে মন্ত্রের জন্য incantation শব্দটা ব্যবহার করেছি | কারণ যদি মূল ৰাংলা ব্যবহার করতাম, তাহলে মন্ত্র-শব্দটাই ব্যবহার করতাম | কারণ, ইংরেজি incantation শব্দটা ঠিক মন্ত্রের প্রতিভু নয় | ইংরেজিতে বা Roman-এ আমি ঠিক উপযুক্ত শব্দ কোনও খুঁজে পাইনি | Incantation শব্দটা হচ্ছে এমন কোনও একটা জিনিস যা মানুষ ৰার-ৰার ব্যবহার করে | এর ৰেশি কিছু ৰলা যায় না | কিন্তু সংস্কৃত বা ৰাংলা মন্ত্র শব্দটার মানে ৰলা হচ্ছে-- “মননাৎ তারয়েৎ যস্তু সঃ মন্ত্রঃ পরিকীর্ত্তিতঃ” | যাকে মনন করলে অর্থাৎ ৰার-ৰার ভাবলে, মানুষ ত্রাণের রাস্তা পেয়ে যায়, তাই  হ'ল মন্ত্র |” (1)

Reference
1. Morning General Darshan, 14 Nov 1979, Silchar, W.B.


== Section: Prabhat Samgiita ==

बाबा, हे  प्रभु! अपने लीला छल में मुझे क्यों भुलाये हो? तुम मुझे दर्शन दो। 


प्रभात संगीत  "Prabhu toma'r liila'r chale, keno rakho more bhuliye..." (PS #354)

(जो मन लगाकर साधना का 6th पाठ नहीं करता, वह यह प्रभात संगीत नहीं समझ सकता )

बाबा, हे  प्रभु! अपने लीला छल में मुझे क्यों भुलाये हो? मैंने अबतक तुम्हारी लीला बहुत देख ली, अब तो मैं स्वयं लीलामय को ही देखना चाहता हॅूं। इस लुका छिपी के खेल में तुम अपने को दूर ही बनाये हुए हो? हे  प्रभु! तुम अपनी दिव्य लीला करके दूर क्यों बने हुए  हो, पास क्यों नहीं आ रहे हो?

हे परमपुरुष! मेरा हृदय तुमको ही चाहता है और मेरा मन तुम्हारे गुलाबी पदतलों में लोटना चाहता है। बाबा! मेरा पूरा अस्तित्व तुम्हारे लिये ही समर्पित है। मैं तो तुम्हारी सभी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता हॅूं, मुझे अपना यन्त्र बनाकर, अपने हाथों से उसका उपयोग कीजिये। बस, अपनी इच्छाओं के अनुकूल अपने  कार्य कराने के लिये मुझे माध्यम बना लीजिये।

बाबा, दिन आ रहे हैं ,जा रहे हैं, पर मेरा अब तक का सब समय सिर्फ  खाने पीने और वृथा, सोने में ही नष्ट हुआ है। इस प्रकार मेरा जीवन उचित काम में प्रयुक्त नहीं हो पाया है। मैं न तो साधना ही कर सका और न ही समाज सेवा, मेरा जीवन बस यों ही अज्ञानता में निकलता चला जा रहा है।

हे  प्रभु! अपने लीला छल में मुझे क्यों भुलाये हो? तुम मुझे अपने शरण में ले लो।

Note: If you would like the audio file of the above Prabhat Samgiita kindly write us.


== Section: Holy Teaching ==

“आदर्श के लिए मैं सब कुछ करूँगा—जीना, मरना, मेरे लिए समान है 

Here is an "as is" transcript of Baba's unique discourse that we should be fanatical in adhering to the tenets of Ananda Marga ideology.

कट्टर मनुष्य बनो, पक्का मनुष्य बनो

बीस शास्त्र में पण्डित बनने से, महामहोपाध्याय बनने से भगवान को कोई नहीं पाता है | अपढ़ जो क-ख, अलिफ़-बे-पे-ते, नहीं जानता है, वह भगवान को पा जाता है |

तो, इसके लिए, जानते हो हर कर्म के लिए एक ज़िद की ज़रूरत होती है | अच्छे कर्म के लिए भी, ख़राब के लिए भी | ख़राब कर्म के लिए जिन के मन ज़िद रहता है, वे दुनिया के लिए भयङ्कर मनुष्य बन जाते हैं, terror बन जाते हैं | ठीक वैसा ही अच्छे कर्म के लिए ज़िद है, वे दुनिया के सम्पद बन जाते हैं | उनकी तरक्की कोई रोक नहीं सकता है | तो, परमपुरुष की प्राप्ति के लिए भी, इसी तरह का एक ज़िद रहना चाहिए—”मैं अवश्य पाऊँगा, पा कर रहूँगा”—काम हो जाएगा | तो, यह ज़िद, ज़िद चाहिए | तो, यह एक प्रकार का spiritual fanaticism, not religious fanaticism | Religious fanaticism ख़राब है, group बनता है | Spiritual fanaticism | “आदर्श के लिए मैं सब कुछ करूँगा—जीना, मरना, मेरे लिए समान है | मेरे लिए सबसे क़ीमती चीज़ है आदर्श |” तो, यही याद रखोगे कि {एक} इस तरह की एक ज़िद की ज़रूरत है |

जो “अ” भी होता है, “ऐ” भी होता है | आगे भी चल सकते हैं, पीछे भी चल सकते हैं | खाएँ या नहीं खाएँ, करें या नहीं करें—इस प्रकार के द्विविधा-ग्रस्त जो मनुष्य है, उनसे बड़ा काम नहीं होता है | जीवन के किसी भी क्षेत्र में द्विविधा नहीं हो, किसी भी क्षेत्र में द्विविधा नहीं हो | जहाँ द्विविधा मन में आ गया, एक को रखो; दूसरे को लात मारकर हटा दो |

["बाबा, बाबा, बाबा !"]

दो भावनाएँ जहाँ मन में हैं, एक भावना को पकड़कर रखो, उसके लिए मरो | और, दूसरी भावना जो है, या तीसरी या चौथी; लात मारकर {जीवन के} जीवन की राह से हटा दो |

समझे तुम लोग ?

[मार्गी लोग---"जी !"]

इसी तरह का कट्टर मनुष्य बनो, पक्का मनुष्य बनो | कहा गया है न कि मनुष्य जीवन में एक व्रत, वह व्रत क्या है ? न, परमपुरुष की प्राप्ति, कोई दूसरा व्रत नहीं है जीवन में | व्रत एक ही है | और वह है—महाव्रत अर्थात्‌ परमपुरुष को पाना | यही है जीवन का व्रत, और कुछ मैं नहीं जानता हूँ | तो, इसके लिए वही बोले हैं कि एक रुहानी कट्टरपनी की ज़रूरत होती है | परमात्मा goal, परमपुरुष मेरा लक्ष्य है, कोई दूसरा लक्ष्य नहीं है | परमपुरुष को हम address करेंगे—एक शब्द से; दो शब्द से नहीं | (6)


Why fanaticism for rational ideas is very good

Here is the English summary:

One, who claims to be a pandit (scholar) in twenty shastras (scriptures) and is Mahamahopaddhyay (i.e.highest degree of scholarship like D. Lit.) can never realize Parama Purusa (God), but an illiterate man who does not know even the alphabet ka, kh, (in Hindi) or alif, be, pe, te (in Urdu) can get Him.

So, for this, and you know, every work needs determination, not only good works but bad also. Those who are determined to do bad work become dangerous and create terror for the world. In contrast, those who are determined to do good work become treasures for the world; no one can prevent their progress. Hence, there should also be a determination to attain Parama Purusa: "I will get Him, certainly I will get Him," like this you will get success. So, one should have this type of determination, this is a type of spiritual fanaticism, not religious fanaticism. Religious fanaticism is bad as it leads to the formation of groups. Spiritual fanaticism (teaches), "I will do everything for the sake of ideology. Whether I live or to die for my ideology, it is the same to me. The most precious thing for me is my ideology." So, remember, only this type of determination is necessary.

This way is ok and that way is also ok, I can go forward or backward." Those who think, "Whether I should eat or not, I should do this work or not," are always doubtful. They cannot do great work. There should not be any doubt in life, no doubt at all in any field. If at any time, there is hesitation in the mind, keep one idea and remove the other by kicking it away.

[Margiis: "Baba...Baba...Baba..."]

When there are two ideas in the mind, hold onto only one and be ready to die for it. Regarding the second, third, or fourth ideas, kick and remove them from the path of your life. Do you follow?

[Margiis: "Yes."]

Become determined and strong people like this. It is said, There is only one vow of human life, and that is to get Parama Purusa. There is no other vow. The vow is only one, the great vow - to get Parama Purusa. This is the vow of life: I do not know anything else. Therefore, for this I have expressed the need for a type of spiritual fanaticism. My aim is Paramatma, my goal is Parama Purusa - not any thing else. I will address Parama Purusa by a single word not two.

Note: If your doctor doing surgery is not strict in following the medical codes, conduct, and protocol then will you like to go to him for open heart surgery. Because that doctor is sloppy - and not fanatical about following all the guidelines. So you will not use that doctor as you want a doctor who is fanatical in his medical work - very accurate and strict. That is the type of fanaticism needed in Ananda Marga also. Because Ananda Marga is rational. Since the followers of Ananda Marga are very strict in rational ideas then the society at large will greatly benefited.



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