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Monday, September 2, 2013

आनन्दमार्गसाधना में: परमपुरुष और भक्त के बीच सीधी बातचीत, तीसरा कोई नहीं। // In Ananda Marga: 2-Way Communication, Not 3

Date: 02 Sep 2013 17:34:28 -0000
From: "Vara'bhaya Deva" <varabhaya.deva@synergy...>
To: anandamargauniversal1@yogasamsthanam.net
Subject:  आनन्दमार्गसाधना  में: परमपुरुष और भक्त के बीच सीधी बातचीत, तीसरा कोई नहीं। // In Ananda Marga: 2-Way Communication, Not 3

Baba

This email is for all bhaktas but primarily for those who read Hindi script, though there is an English translation at the bottom of this letter.

This Email Contains 3 Sections:
1. Hindi Purport of Prabhat Samgiita #3013 - Translation by Dr T.R. Sukulji
2. Hindi Purport of Prabhat Samgiita #3013 - Second Version
3. English Purport of Prabhat Samgiita #3013


आनन्दमार्गसाधना  में: परमपुरुष और भक्त के बीच सीधी बातचीत, तीसरा कोई नहीं।

बाबा

आनन्दमार्गसाधना  में: परमपुरुष और भक्त के बीच सीधी बातचीत, तीसरा कोई नहीं।

प्रभात संगीत का परिचयः प्रभात संगीत भक्त और परमपुरुष के बीच प्यार भरा संवाद है। अधिकांश   रचनाओं में भक्त द्वारा ही गीत गाया गया है,  परमपुरुष की ओर से भक्त को बहुत कम संबोधित किया गया है, वह भी या तो प्रत्यक्ष या परोक्ष भाषा में। परंतु हर बार गीत में केवल भक्त और  के बीच की स्नेहपूर्ण वार्ता है, तीसरा कोई नहीं।

परंपरागत हिंदु आध्यात्मिक भजनों से यह भिन्न है जिनमें दो लोगों, भक्त और परमपुरुष या तीन लोगों के बीच वार्ता होती है। इनमें जहाँ  तीन लोगों के बीच वार्ता होती है उनमें दो भक्त तो मित्र होते हैं और वे तीसरे के बारे में बात करते हैं जो परमपुरुष होते हैं। जैसे , एक भक्त पूछता है,‘‘ तुम क्यों रो रहे हो? क्या इसलिये कि परमपुरुष नहीं आये? भारतीय परंपरागत विरह भजनों में साधारणतः इस प्रकार का द्रश्य  होता है।

परंतु प्रभात संगीत में विशिष्टतः भक्त और के परमपुरुष के बीच सीधे ही बातचीत होती है- तीसरा कोई हस्तक्षेप नहीं करता । कभी कभी भक्त परमपुरुष से बातचीत करता है और कभी परमपुरुष भक्त को संबोधित करते हैं। प्रत्येक दशा  में वार्ता की विधि प्रत्यक्ष या परोक्ष होती है। कुछ विरले विरहगीतों में परमपुरुष भक्त को बहुत परोक्ष रूप से या छद्म रूप से संबोधित करते हैं जिसमें भक्त जान ही नहीं पाता कि वह परमपुरुष से बात कर रहा है।

उदाहरणार्थ, विरहगीत में मानलो कोई भक्त परम पुरुष की चाह में रो रहा है तो परमपुरुष छद्मरूप में आ जाते हैं जिससे वह उन्हें पहचान नहीं पाता। अपनी पहचान छिपाये हुए वे पूछते हैं, तुम क्यों रो रहे हो? तुम किसकी चाह में रो रहे हो?

निम्नलिखित गीत इस सूक्ष्म तरीके से ही गाया गया है।  परमपुरुष भक्त के सामने छद्मरूप में खड़े हुए हैं, वह नहीं जान पाता कि ये परमपुरुष ही हैं जो इन प्रश्नों  को पूंछ  रहे हैं। इस प्रकार परमपुरुष अपनी लीला करते रहते हैं।

“A’nkhiro ba’dal mucheche ka’jal, ka’r katha’ mane par’e balo na’…” (PS 3013)

प्रथम पद

 लाइन का अर्थः कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह ने इस अश्रुप्रवाह से तुम्हारी आखों के काजल को धो डाला है? तुम्हें नींद क्यों नहीं आ रही है? मैं तुमसे पूछ रहा हूँ  कृपया बताईए। तुम इतने परेशान  क्यों हो? किसने तुम्हें इतना कष्ट पहुँचाया  है, तुम क्यों रो रहे हो? कृपया बताईए क्या गड़बड़ है। मुझे बताइये, तुम क्या अनुभव कर रहे हो?

भावार्थः ए भक्त!  कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों  में इतने आँसू  भर आये कि काजल ही धुल गया। तुम्हारी आँखों  में नींद क्यों नहीं आ रही है- मैं तुमसे पूछ रहा हूँ  कृपया बताईए । तुम इतने परेशान  क्यों हो? किसने तुम्हें इतना कष्ट पहुँचाया  है, तुम क्यों रो रहे हो? कृपया बताईए क्या गड़बड़ है। मुझे बताइये, तुम्हें कैसा लग रहा है?

टेकः ए भक्त!  कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों  में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया।

द्वितीय पदः

लाइन का अर्थः  इस चमकीली पूर्णिमा की अत्यंत मनभावन, मदहोष करने वाली मधुर, षान्त, कष्टहर, सुगंधित समीर में जहाँ  प्रत्येक वस्तु प्रकाश  में स्नान कर रही है, तुम इतने उद्विग्न क्यों हो? किसकी चाह में निराशित होकर जाग रहे हो? भय और लज्जा को छोड़ मुझे बताओ तो, किसने तुम्हारे साथ ऐंसा किया है।

भावार्थः ए भक्त! यह अत्यंन्त मनभावन पूर्णिमा की मधुर सुगंधित वायु  - जहाँ  कि सभी दिशाओं   में सब कुछ चंद्रमा की चमक से प्रकाशित हो रहा है - प्रशान्त वातावरण निर्मित कर दुखदर्द दूर कर रही है, और पूरा परिद्रश्य  दिव्यता में मदहोश  है, तुम फिर भी इतने निराश  क्यों हो? तुम निराशा  में, किसकी चाह में जाग रहे हो? भय और लज्जा को छोड़ मुझे बताओ तो, किसने तुम्हारे साथ ऐंसा किया है। तुम्हारा दिल किसने तोड़ा है?

टेकः ए भक्त!  कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों  में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया।


तृतीय पदः

लाइन का अर्थः मन के काले बादल लंबे समय तक नहीं रह सकते। धारणा और ध्यान के अभ्यास से वे धीरे धीरे हट जावेंगे। तुम्हें जानना चाहिए कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन स्वाभाविक रूप से आने वाले हैं। इस सत्य को जान कर मैं तुमसे कहता हूँ  चिंता मत करो।

भावार्थः ए भक्त! मन के काले बादल लंबे समय तक नहीं रह सकते- यह दुखदायी समय और परमपुरुष को न पाने का कष्ट हमेशा  नहीं रहेगा। यह निराशा , विरह और दुख समाप्त हो जावेंगे। धारणा, ध्यान, आसन, प्राणायाम, कीर्तन और धार्मिक जीवन जीने से  ये काले बादल हट जावेंगे और तुम्हारे दुखों का अन्त हो जावेगा। तुम्हें जानना चाहिए कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन स्वाभाविक रूप से आने वाले हैं। यह सत्य है। तुम किसके लिये रो रहे हो , तुम्हारे प्यारे परमपुरुष आयेंगे और तुम्हारी इच्छायें पूरी करेंगे। आगे का समय आनन्ददायी है। इस सत्य को जानकर ही मैं तुम्हें चिन्ता न करने के लिये आष्वस्त करता हूँ । सबकुछ ठीक हो जावेगा। वह तुम्हारे पास आयेंगे।

टेकः ए भक्त!  कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों  में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया।

निष्कर्षः ए भक्त! तुम्हें जानना चाहिये कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिनों का आना अनिवार्य है। यह निश्चित  है। तुम किसके लिये रो रहे हो, तुम्हारे प्रिय परमपुरुष तुम्हारी ओर आयेंगे और तुम्हारी इच्छाओं की पूर्ति से हृदय भर देंगे। आनन्ददायी समय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। इस सत्य को जानकर ही मैं तुम्हें आश्वस्त  करता हूँ  कि चिंता मत करो , सबकुछ ठीक हो जावेगा।


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Note:
The above transcription of PS #3013
- “A’nkhiro ba’dal mucheche ka’jal, ka’r katha’ mane par’e balo na’…” -
was done by Dr. T.R. Sukulji.


Here below is a second Hindi transcription that stands as
another way of presenting this same song.

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बाबा

आनन्दमार्ग भक्तिधारा में: भक्त और भगवान से सीधी बात, तीसरा कोई नहीं।
प्रभात संगीत 3013, परिचयः-
प्रभात संगीत, भक्त और भगवान के बीच प्यार भरा संवाद है। अधिकांश रचनाओं में भक्त ने भगवान को संबोधित कर गीत गाया गया है | भगवान की ओर से भक्त को बहुत कम संबोधित किया गया है | और जहां है भी, वह भी या तो प्रत्यक्ष या परोक्ष भाषा में भगवान से संवाद है। अर्थात हर बार गीत में केवल भक्त और भगवान के बीच की स्नेहपूर्ण वार्ता है, तीसरा कोई नहीं।
परंपरागत हिंदू आध्यात्मिक भजनों से यह भिन्न है जिनमें दो लोगों, भक्त और भगवान या तीन लोगों के बीच वार्ता होती है। इनमें जहां तीन लोगों के बीच वार्ता होती है उनमें दो भक्त तो मित्र होते हैं और वे तीसरे के बारे में बात करते हैं जो भगवान होते हैं। जैसे , एक भक्त पूछता है,‘‘ तुम क्यों रो रहे हो? क्या इसलिये कि भगवान नहीं आये?” भारतीय परंपरागत विरह भजनों में साधारणतः इस प्रकार का दृश्य होता है।
परंतु प्रभात संगीत में विशिष्टत: भक्त और भगवान के बीच सीधे बातचीत होती है- तीसरा कोई नहीं। कभी कभी भक्त भगवान से बातचीत करता है और कभी भगवान भक्त को संबोधित करते हैं। प्रत्येक दशा में वार्ता की विधि प्रत्यक्ष या परोक्ष होती है। कुछ विरले विरहगीतों में परमपुरुष भक्त को बहुत परोक्ष रूप से या छद्म रूप से संबोधित करते हैं जिसमें भक्त जान ही नहीं पाता कि वह परमपुरुष से बात कर रहा है।
उदाहरणार्थ, विरहगीत में मानलो कोई भक्त परम पुरुष की चाह में रो रहा है तो भगवान छद्मरूप में आ जाते हैं जिससे वह उन्हें पहचान नहीं पाता। अपनी पहचान छिपाये हुए वे पूछते हैं, तुम क्यों रो रहे हो? तुम किसकी चाह में रो रहे हो?
निम्नलिखित गीत इस सूक्ष्म तरीके से ही गाया गया है। भगवान भक्त के सामने छद्म रूप में खड़े हुए हैं, वह नहीं जान पाता कि ये भगवान ही हैं जो इन प्रश्नों को पूंछ रहे हैं। इस प्रकार परमपुरुष अपनी लीला करते हैं।
“A’nkhiro ba’dal mucheche ka’jal, ka’r katha’ mane par’e balo na’…” (PS 3013)
प्रथम पद
पंक्ति का अर्थः-
परमपुरुष बाबा, भक्त से पूछ रहे हैं—हे भक्त! कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह ने इस अश्रुप्रवाह से तुम्हारी आखों के काजल को धो डाला है? तुम्हें नींद क्यों नहीं आ रही है? मैं तुमसे पूछ रहा हूँ कृपया बताईए। तुम इतने परेशान क्यों हो? किसने तुम्हें इतना कष्ट पहुँचाया है, तुम क्यों रो रहे हो? कृपया बताईए क्या गड़बड़ है। मुझे बताइये, तुम क्या अनुभव कर रहे हो?
भावार्थः-
भगवान, भक्त से पूछ रहे हैं—हे भक्त! कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया। तुम्हारी आँखों में नींद क्यों नहीं आ रही है- मैं तुमसे पूछ रहा हूँ कृपया बताईए । तुम इतने परेशान क्यों हो? किसने तुम्हें इतना कष्ट पहुँचाया है, तुम क्यों रो रहे हो? कृपया बताईए क्या गड़बड़ है। मुझे बताइये, तुम्हें कैसा लग रहा है?
टेकः
भगवान,परमपुरुष बाबा, भक्त से पूछ रहे हैं—ए भक्त! कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया।
द्वितीय पदः -
पंक्ति का अर्थः-
भगवान, भक्त से पूछ रहे हैं—इस चमकीली पूर्णिमा की अत्यंत मनभावन, मदहोश करने वाली मधुर, शान्त , कष्टहर, सुगंधित समीर में जहाँ प्रत्येक वस्तु प्रकाश में स्नान कर रही है, तुम इतने उद्विग्न क्यों हो? किसकी चाह में निराश होकर जाग रहे हो? भय और लज्जा को छोड़ मुझे बताओ तो, किसने तुम्हारे साथ ऐसा किया है।
भावार्थः-
भगवान, भक्त से पूछ रहे हैं—ए भक्त! यह अत्यंन्त मनभावन पूर्णिमा की मधुर सुगंधित वायु , चंद्रमा की चमक से प्रकाशित वस्तुओं सहित सभी दिशाओं में प्रशान्त वातावरण निर्मित कर दुखदर्द दूर कर रही है, और पूरा परिदृश्य दिव्यता में मदहोश है, तुम फिर भी इतने निराश क्यों हो? तुम नैराश्य में, किसकी चाह में जाग रहे हो? भय और लज्जा को छोड़ मुझे बताओ तो, किसने तुम्हारे साथ ऐंसा किया है। तुम्हारा दिल किसने तोड़ा है?
टेकः-
भगवान, भक्त से पूछ रहे हैं—ए भक्त! कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया।
तृतीय पदः-
पंक्ति का अर्थः-
भगवान, भक्त से—ए भक्त! मन के काले बादल लंबे समय तक नहीं रह सकते। धारणा और ध्यान के अभ्यास से वे धीरे धीरे हट जावेंगे। तुम्हें जानना चाहिए कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन स्वाभाविक रूप से आने वाले हैं। इस सत्य को जान कर मैं तुमसे कहता हूँ चिंता मत करो।
पूरे प्रभात संगीत का भावार्थः-
परमपुरुष बाबा भक्त से—ए भक्त! मन के काले बादल लंबे समय तक नहीं रह सकते- यह दुखदायी समय, और भगवान को न पाने का कष्ट, हमेशा नहीं रहेगा। यह निराशा , विरह और दुख समाप्त हो जाएगें। धारणा, ध्यान, आसन, प्राणायाम, कीर्तन और धार्मिक जीवन जीने से ये काले बादल हट जाएगें और तुम्हारे दुखों का अन्त हो जावेगा। तुम्हें जानना चाहिए कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन स्वाभाविक रूप से आने वाले हैं। यह सत्य है। तुम किसके लिये रो रहे हो , तुम्हारे प्यारे परमपुरुष आयेंगे और तुम्हारी इच्छायें पूरी करेंगे। आगे का समय आनन्ददायी है। इस सत्य को जानकर ही मैं तुम्हें चिन्ता न करने के लिये आश्वस्त करता हूँ । सबकुछ ठीक हो जाएगा। वे परमपुरुष तुम्हारे पास आयेंगे।
टेकः-
ए भक्त! कृपया मुझे बताईए कि किसकी चाह में तुम्हारी आँखों में इतने आँसू भर आये कि काजल ही धुल गया।
निष्कर्षः-
ए भक्त! तुम्हें जानना चाहिये कि बुरे दिनों के बाद अच्छे दिनों का आना अनिवार्य है। यह निश्चित है। तुम किसके लिये रो रहे हो, तुम्हारे प्रिय परमपुरुष तुम्हारी ओर आयेंगे और तुम्हारी इच्छाओं की पूर्ति से तुम्हारा हृदय भर देंगे। आनन्ददायी समय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। इस सत्य को जानकर ही मैं तुम्हें आश्वस्त करता हूँ कि चिंता मत करो , सबकुछ ठीक हो जावेगा।

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Note:
Here below is an updated English version of this
song which was posted earlier and you may have read;
so you may like to read this improved edition.
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UNIQUE PRABHAT SAMGIITA

PS Intro: Prabhat Samgiita is the loving communication between the bhakta and Parama Purusa. In most compositions, the song is sung by the devotee; less frequently Parama Purusa is addressing the devotee, either using direct or indirect language. But always the song is the loving sharing between Parama Purusa and the bhakta. Never is there a third entity in the song.

In contrast, traditional Hindu devotional bhajans and writings might employ 2 characters, i.e. bhakta and Parama Purusa, or 3 characters. In those instances where there are 3 characters, then 2 of the them are devotees who are friends talking about the third character - i.e. Parama Purusa. For example, one devotee might ask, "Why are you crying? Is it because your Lord has not come?" This is a common scenario in melancholic, traditional Indian bhajans.

But in Prabhat Samgiita, the communication is exclusively between the bhakta and Parama Purusa - there is no 3rd  party. Sometimes the devotee is talking with Parama Purusa, sometimes Parama Purusa is addressing the devotee. In either case, the style of communication may be direct or indirect. In some rare melancholic compositions, Parama Purusa addresses the bhakta in a very indirect and disguised manner wherein the devotee does not even recognise that it is Parama Purusa.

For example, in a melancholic song, if a devotee is crying in longing for Parama Purusa, then Parama Purusa might come in a disguised way so the bhakta does not even realise it is Parama Purusa. Keeping His identity hidden, Parama Purusa then asks, "Why are you crying? In whose longing are you crying?"

The following song proceeds in this subtle manner. Parama Purusa has come to the devotee in a disguised way and the devotee has no idea that Parama Purusa is the One next to him addressing him and asking these questions. In this way Parama Purusa plays His divine liila.


"A'nkhiro ba'dal mucheche ka'jal, ka'r katha' mane par'e balo na'..."   (PS 3013)


1ST STANZA

Note: Here Parama Purusa Baba is addressing the bhakta.

Line Meaning: Please tell me whose longing brought the showering of tears in your eyes that washed away the collyrium.  Why is sleep not coming in your eyes - I am asking you, please tell me. Why are you so upset? Who has given you so much pain. Why are you crying? Please tell me what is wrong. Tell me what you are feeling.

Purport: O' devotee, please tell me whose longing brought the showering of tears in your eyes that washed away the collyrium. Why is sleep not coming in your eyes - I am asking you, please tell me. Why are you so upset? Who has given you so much pain. Why are you crying? Please tell me what is wrong. Tell me what you are going through.

Refrain: O' devotee, please tell me whose longing brought the showering of tears in your eyes that washed away the collyrium.


2ND STANZA

Note: Here Parama Purusa Baba is addressing the bhakta.

Line Meaning: The sweet, tranquil, pain-relieving, aromatic breeze of this most charming, divinely intoxicating, effulgent full-moon night where everything basks in the light, why are you feeling so distraught? In whose longing are you remaining awake in hopelessness? Putting aside all feelings of shyness and fear, just tell me who has done this to you.

Purport: O' devotee, the sweet, aromatic breeze of this most charming, full-moon night - where everything in all directions is illumined and basking in the moon's effulgence - brings tranquility and removes the burden of agony and pain. When the entire scene is so divinely intoxicating, then why are you still so despondent. In whose longing are you remaining awake in hopelessness? Why are you feeling so distraught? Putting aside all feelings of shyness and fear, just tell me who has done this to you. Who has broken your heart.

Refrain: O' devotee, please  tell me whose longing brought the showering of tears in your eyes that washed away the collyrium.


3RD STANZA

Note: Here Parama Purusa Baba is addressing the devotee.

Line Meaning: The black clouds of the mind cannot remain for a long time. With the practice of dharana and dhyana, gradually they will go away. You should know that after bad days naturally good days are going to come. Knowing this fact, I tell you not to worry.

Purport: O' devotee, the dark, black clouds of the mind cannot remain for a long time - this period of suffering and the pain of not getting Parama Purusa will not last forever. This despondency, melancholia, and sadness will diminish. With the practice of dharana, dhyana, asana, pranayama, kiirtan and engaging in spiritual life, gradually those dark clouds will go away - your troubles will be over. You should know, after the bad days naturally good days are going to come. That is sure. For whom you are crying, your loved one Parama Purusa will come and fulfill your desire. Blissful days are ahead. Knowing this fact, I assure you not to worry. Everything will be alright. That Divine Entity, your Dearmost Parama Purusa will come to you.

Refrain: O' devotee, please tell me whose longing brought the showering of tears in your eyes that washed away the collyrium. Please tell me.


CLOSING

Note: Here Parama Purusa Baba is addressing the bhakta.

O' devotee, you must know, after the bad days, good days are bound to come. That is certain. For whom you are crying, your Beloved Parama Purusa will come by your side and satiate your longing to your heart's content. Blissful times await you. Knowing this fact, I assure you not to worry. Everything will be alright...


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